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Book Review: Thou Shalt Innovate: How Israeli Ingenuity Repairs the World

Book Review and some Personal Insights: Recently I have completed reading this book called  Thou Shalt Innovate: How Israeli Ingenuity Repairs the World , by Avi Jorisch. https://www.amazon.in/Thou-Shalt-Innovate-Israeli-Ingenuity/dp/9652299340 As the title suggests the book is on entrepreneurial innovations and how such innovations or start-ups have helped the nation Israel become wealthy and developed, and how such innovations have helped other countries as well. The reason I read such books are for comparing them with our own country India and to have an idea on what exactly went wrong here that we haven't achieved the same success as other first-world countries. I'll brief some points of what I have understood- 1.) Israel has become a successful capitalist country. Perhaps this is the main thing that differentiates a developed country from a developing (read: still largely backward) one. Capitalism means the increasing of wealth through free market economy or free
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DEBUNKING SURENDRA SHARMA: First Person vs Third Person

नमस्ते । यह ब्लाॅग पोस्ट डाॅ सरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात जी लिखित और विश्वबुक्स प्रकाशन संस्था प्रकाशित "श्रीमद्भगवद् गीता" पुस्तक [ISBN: 978-81-7987-862-0] के भगवद्गीता के आलोचना के खंडन हेतु तीसरा पोस्ट है। दूसरे पोस्ट मे हमने उनके पूर्वपीठिका के भाग "गीताः अंतरंगतः व बहिरंगतः" के उपभाग गीता के ब्रह्मसूत्र की बाद की रचना अर्थात् भगवद्गीता और ब्रह्मसूत्र के रचना-काल पर उनके मत का खंडन किया है। यह पोस्ट शर्माजी की पुस्तक की पूर्वपीठिका के ही आगे के उपभाग गीता मे कहीं प्रथम-पुरुष व कहीं अन्य-पुरुष वचन, पृष्ठ क्रमांक १८-१९, से संबंधित है। हिंदी मेरी मातृभाषा न होने के कारण कई व्याकरणिक त्रुटियाँ इस पोस्ट में मिलेंगी।इसलिए पाठकों से निवेदन हैं कि वे इस दोष के लिए मुझें क्षमा करें और वाक्यों के भाव को समझें। पूर्व पक्ष / आक्षेप (बिंदु संक्षिप्त में)- ■ गीता मे कई श्लोकों मे श्री कृष्ण जी ईश्वर यानी परब्रह्म के गुणगान के संदर्भ मे प्रथम पुरुष मे संवाद करते हैं व कई श्लोकों मे अन्य पुरुष में। ■ गीता के ३७५ श्लोकों मे "मैं" किसी-न-किसी रुप में

REFUTING RUPA KULKARNI: रुपा कुलकर्णी बोधींना उत्तर

नमस्कार। बौद्ध तत्वज्ञानाचा किंवा बौद्धां मधल्या विभिन्न तत्वज्ञान व मतांचे आणि इतिहासाचे जेवढे विकृतिकरण महाराष्ट्रात आंबेडकरवादी चळवळीच्या माध्यमाने झाले आहे तेवढे नुकसान आंबेडकरवादींचे थेट मानलेले शत्रु सेनापति पुष्यमित्र शुंग (जे स्वतः भारतीय बौद्धांचे समर्थक होते, असो) यांनी सुद्धा केला नसेल! आंबेडकरवादी विचारधारा मुख्यतो एका अनुसूचित जातींच्या "विशिष्ट जाती" पर्यंतच मर्यादित आहे , पण काही अपवाद सापडतात जे त्या विशिष्ट जातीच्या व अनुसूचित जातिवर्गाच्या बाहेरचेही असतात. तश्या अपवादां मधले एक उदाहरण म्हणजे डाॅ रूपा कुलकर्णी बोधी नामक या शिक्षिका आहेत. यांच्या वैयक्तिक चारित्रा बाबत व कार्यांबद्दल मला फारशी माहिती नसल्या मुळे त्यावर माझी टिका होणार नाही, पण पत्रकार राजू पारुळेकरांबरोबर झालेल्या त्यांच्या मुलाखती मध्ये एवढं जानवलं की डाॅ कुलकर्णी-बोधी जी एका "निधर्मी" ब्राह्मण कुटुम्बात जन्माला आल्या होत्या आणि यांनी नंतर बौद्ध धर्माची दीक्षा घेतली. तसं यांनी बौद्ध धर्माच्या कोणत्या संघात व कोणत्या पंथ परंपरेत दीक्षा घेतली हे डाॅ जी स्पष्ट सांगत नाह

DEBUNKING SURENDRA SHARMA: Timeline of Bhagavad Geeta and Brahma Sutras

नमस्ते। यह ब्लाॅग पोस्ट डाॅ सरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात जी लिखित और विश्वबुक्स प्रकाशन संस्था प्रकाशित "श्रीमद्भगवद् गीता" पुस्तक [ISBN: 978-81-7987-862-0] के भगवद्गीता के आलोचना के खंडन हेतु दूसरा पोस्ट है। पहले पोस्ट मे हमने उनके पूर्वपीठिका के भाग "गीताः अंतरंगतः व बहिरंगतः" के युधिष्ठिर के मोह पर उनके आक्षेपों के उत्तर दिए। यह पोस्ट शर्माजी के पुस्तक के अगले भाग गीता के रचनाकाल संबंधित है। हिंदी मेरी मातृभाषा ना होने के कारण कई व्याकरणिक त्रुटियाँ इस पोस्ट पर मिलेंगे इसिलिए पाठकों से निवेदन हैं की वे इस दोष के लिए मुझें क्षमा करें और वाक्यों के भाव को समझें।  पूर्व पक्ष / आक्षेप (बिंद संक्षिप्त मे)- ■ भगवद्गीता वेदव्यासकृत ब्रह्मसुत्र के बाद लिखे गए थे क्यों की गीता १३/४ मे ब्रह्मसुत्र का उल्लेख है। ■ ब्रह्मसूत्र मे वैभाषिक, सौत्रांतिक, माध्यमिक और योगचार इन चार बौद्ध दर्शनों के खंडन होने के कारण ब्रह्मसूत्र सन् ४०० ईसा के बाद रचे गए। ■ इसिलिए गीता भी ब्रह्मसूत्र के बाद गुप्त साम्राज्य के काल मे रची गई। ■ बाद मे गीता को महाभारत मे मिला दिया ग

DEBUNKING SURENDRA SHARMA: Answers to the Criticism of the Bhagvad Gita

।। ओ३म् ।। Image source: World Art Dubai नमस्कार। ४ नवंबर २०१९ के दिनांक, आज के दिवस सोमवार, मै ब्रह्मवीर ऋग्वेदी यह ब्लॉग पोस्ट लिखना प्रारम्भ कर रहा हू जिसका विषय श्रीमान डाॅ सुरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात जी नामक लेखक के पुस्तक "श्रीमद्भगवद् गीता" [ISBN: 978-81-7987-862-0], विश्व बुक्स प्रकाशन, मे दिए भगवद गीता पर लगाए आरोपों का उत्तर देने व जहा आवश्यकता हो वहा खंडण करने लिख रहा हूँ। हिन्दी भाषा मेरी मातृभाषा न होने के कारण पाठकों से निवेदन है की इस लेख मे यदी कोई हिन्दी व्याकरणिक गलतियाँ मिले तो कृपया क्षमा कीजिएगा।  प्रस्तावना: हालांकी श्रीमान डाॅ सुरेन्द्र कुमार शर्मा 'अज्ञात' जी, जिन्हे मे यहा संक्षिप्त मे "शर्मा जी" या "डाॅ शर्मा जी" ऐसे संबोधित करुंगा, अधिक प्रसिद्ध लेखक नही है पर हाल ही मे मैंने इनके चर्चे कुछ आंबेडकरवादी मित्रों से सुने जहा इनके पुस्तकों के बारे मे पता चला। मेरे कुछ अन्य आर्य समाज से जुडे मित्र डाॅ शर्मा जी के अन्य हिंदु धर्म के विरुद्ध पुस्तकों के खंडन मे लगे है, मै स्वयं विश्वबुक्स प्रकाशित "

महर्षि दयानंद व उनके आर्य अनुयायियों के समर्थक डाॅ आंबेडकर

स्वयं डाॅ आंबेडकर ने महर्षि दयानंद व उनके अनुयायियों के वैदिक वर्णव्यवस्था को समझकर समाज सुधार करने की प्रशंसा की हैं Annihilation of Caste, with a Reply to The Mahatma इस लेख मे। महात्मा गांधी ये जन्मना वर्णव्यवस्था के समर्थक थे (स्वयं अपने जन्माधारित जाती के व्यवसाय व्यापार के बजाए वकिली के व्यवसाय मार्ग पर चलने के बावजूद) और इनके विरुद्ध डाॅ आंबेडकर ने महात्मा को उत्तर मे लिखा है की महात्मा गांधी वर्ण और जाती को एक ही मानते है जबकी वैदिक वर्णव्यवस्था केवल कर्माधारित थी और महर्षि दयानंद व उनके अनुयायी ये ठिक से समझ पाए है। उन्होंने ये भी कहा की महर्षि दयानंद या स्वामी दयानंद के वेदोक्त वर्णव्यवस्था मे कोई आपत्ति या विवादास्पद नही है क्यों की इसमे जन्म व कुल का कोई लेना देना ही नही, केवल कर्म और गुणों पर आधारित हैं इसिलिए वह बुद्धिपूर्ण है। [31:] It is good that he has repudiated this sanctimonious nonsense and admitted that Caste "is harmful both to spiritual and national growth," and maybe his son's marriage outside his caste has had something to do wit

ना भारत मे, ना नेपाल मे, भगवान बुद्ध का जन्मस्थल मिला थाईलैंड मे!

Research Paper by Dr. Chaiyong Brahmawong, Ph.D. Senior Professor, Sukhothai Thammathirat Open University, Thailand.  Translated into Hindi by Brahmaveer Rigvedi.  Link to the PDF version of original research paper:-  https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&url=http://www.buddhabirthplace.net/pdf/budhasumeng.pdf&ved=2ahUKEwiXovT9qrDlAhXl6nMBHct0C9AQFjALegQICBAB&usg=AOvVaw2Ye0pZD7yV9cWJMRNI1eDM " इतिहास याने वो जो हम जानते है, यदी हमारी जानकारी गलत होगी, तो इतिहास गलत होगा! " ये बयान संभवतः बौद्ध धर्म के इतिहास के विषय मे सत्य है। "दो सौ साल पहले भारत एक ऐसा जगह माना जाता था जिसका इतिहास बहोत छोटा था और संस्कृति मे काफी हीन थी। परंतु आज प्रसिद्ध अतिप्राचीन इतिहास के लिए, एक बेहतरीन व प्रतिष्ठित संधिकाल के लिए और एक ऐसे सांस्कृतिक परंपरा जो लक्षणों व निरंतरता मे अनोखा है, इन केलिए भारत वंदनीय है।" ऐसे हार्परकाॅलीन्स (HarperCollins) प्रकाशित, जाॅन किए कृत India Discovered: The Recovery of a Lost Civilization इस पुस्तक के पिछे के